वेतन को तरसते सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग के कर्मचारी

     

    त्योहारों के इस मौसम में उत्तराखंड सूचना एवं लोकसंपर्क विभाग में कार्यरत मिनिट्रीयल संवर्ग एवं फोटो प्रभाग के कर्मचारियों का एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो सरकार से वेतन में राह देख रहा हैं विभाग में अनेक कर्मचारियों को  लगभग दो माह से वेतन नही मिल पाया है। इनमे कुछ कर्मचारी ऐसे भी होंगे जिनके घरों में विवाह इत्यादि शुभकार्य भी होने होंगे। त्योहारों सीजन में कर्मचारियों को समय पर वेतन भुगतान करा पाने में असमर्थ विभाग के मुखिया की सवेंदनहीनता का आलम यह है कि निदेशालय में कार्यरत लगभग 60 से 70 कर्मचारी ऐसे है जिन्हें सितंबर माह से वेतन भुगतान नही किया गया है वहीं फोटो संवर्ग के अधिकाँश कर्मियों के बैंक खाते में अगस्त माह से वेतन नही डाला गया है। सूचना विभाग के मुखिया की अपने कर्मचारियों के हितों के प्रति कितने गंभीर है उक्त प्रकरण से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। वेतन भुगतान के नाम पर कर्मचारियों को बताया गया है कि अभी बजट नही आया है ऐसे में सवाल उठता है कि एक ही विभाग में कार्य करने वाले कर्मचारियों के लिए वेतन भुगतान हेतु क्या अलग-अलग प्रकार से बजट की व्यवस्था है। क्योंकि शासन सरकार बैठे मोटी मोटी तन्ख्वाह पाने वाले अधिकारियों के वेतन भुगतान में बजट की कमी आड़े आयी हो ऐसी खबर कभी सुनाई नही दी है। किंतु निचले स्तर के कर्मियों को लेकर सरकार-शासन एवं विभागीय मुखिया का यह रवैया बेहद क्या कर्मचारियों में निराशा पैदा नही करता है। विभाग में विभिन्न अनुभागों में कार्यरत कर्मचारियों के साथ साथ निदेशक स्तर के अनेक अधिकारी भी लंबे समय से वेतन की बाट जोह रहे हैं।

    सूचना निदेशालय का मुख्य कार्य सरकार की उपलब्धियों को जनता तक पहुंचना होता है। अब इसे चिराग तले अंधेरा नही कहेंगे तो और क्या कहेंगे कि सरकार की उपलब्धियों का बखान करने वाले विभाग में ही कर्मचारी हितों को लेकर अंधेरगर्दी है। सूचना के जो कर्मचारी सरकार की उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाने के लिए रात दिन कार्य करते रहते है उनकी बुनियादी जरूरत, समय पर वेतन भुगतान की व्यवस्था को ही विभागीय मुखिया पुख्ता नही कर पा रहे हैं। यह आलम तब है जब सूचना के मुखिया शासन में मुख्यमंत्री के अपर सचिव का दायित्व भी देख रहे हैं। तो ऐसे में इस अव्यवस्था का जिम्मेदार कौन हैं ?
    Scroll to Top