कुलदीप एस राणा
देहरादून:
कोरोना से संघर्ष के साथ ही उत्तराखंड के सतत विकास के लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में सीएम तीरथ सिंह रावत की इच्छाशक्ति अब जाहिर होने लगी है। कोरोना की तीसरी लहर की तैयारियों को पुख्ता करने के साथ ही राज्य के सकल पर्यावरण उत्पाद को सूबे की राज्य योजना में शामिल कर तीरथ रावत ने दूरदर्शिता का परिचय दिया है।
राज्य योजना में सकल पर्यावरणीय उत्पाद को शामिल करने का निर्णय राज्य के विकास को पुख्ता करने की दिशा में बेहद क्रांतिकारी साबित हो सकता है आपको बताते चले कि उत्तराखंड का लगभग 70% भूभाग वनाच्छादित है। ऐसे में पर्यावरणीय उत्पाद आधारित व्यवस्था पर्यावरण संरक्षण के साथ साथ आय एवं रोजगार का महत्वपूर्ण जरिया बन सकती है। कोरोना संकट के दौर में देश दुनिया ने पर्यावरण के महत्व को बेहद करीब से जाना और समझा है। राज्य के राजस्व अभिलेखों में दर्ज सूख चुके जलश्रोतों को जीवित किये जाने से पेयजल,भूजल एवं पारिस्थितिक तंत्र मजबूत होगा राजकीय विभाग पर्यावरण संरक्षण की अपनी जिम्मेदारियों से अब भाग नही सकेंगे अब विभागों को अपने बजट का एक हिस्सा पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन के लिए भी उपयोग में लाना होगा।
प्रख्यात पर्यावरण प्रेमी एवं पद्मश्री पुरुस्कार सम्मानित कल्याण सिंह रावत का कहना है कि राज्य सरकार अगर गंभीरता से इस योजना को अमल में लाती है तो यह उत्तराखंड के भविष्य को एक नई दिशा देने वाली साबित हो सकती है। जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश की समयसारिणी प्रभावित होती दिख रही है। तालाबों पोखरों जलस्रोतों को रिचार्ज करने हेतु जल की व्यवस्था एक चुनोती बन गयी है। स्वस्थ वनों को विकसित करना होगा।
तीसरी लहर में नौनिहालों के जीवन की रक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए उत्तराखंड सरकार 5 साल से कम उम्र के बच्चों को फ्लू,सर्दी जुकाम निमोनिया आदि से बचाव हेतु टीकाकरण करने जा रही है। सूबे के “स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने बताया कि एक्सपर्ट कमेटी की राय को ध्यान में रखते हुए सरकार कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों की सुरक्षा हेतु योजना पर काम कर रही है।”
कोरोना संक्रमण में यह बात निकल कर आई है कि मौसमी संक्रमण कोरोना के प्रसार में मददगार साबित हुआ है ऐसे में उक्त संक्रमित बीमारियों से बच्चों के बचाव हेतु वैक्सिनेशन की योजना कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों की स्वास्थ सुरक्षा की दिशा बेहद लाभकारी होगी है। जानकारों के मुताबित इस प्रकार के टीकाकरण से बच्चों में संक्रमण के बाद गंभीर स्थिति में पहुँचने का खतरा कम हो जाएगा।
बच्चों को कोरोना वाइरस से बचाने की योजना के अंतर्गत नवजात से लेकर 18 वर्ष तक के बच्चों की तीन वर्गों में बंटा गया है। जिसमे आयुवर्ग के हिसाब से विटामिन, जिंक, सैलेनियम आदि की खुराक दी जानी है। राजकीय दून मेडिकल कालेज के प्राचार्य प्रो. सायना का कहना है कोरोना में इम्म्युनिटी का बेहद महत्वपूर्ण रोल है। इस तरह के टीकाकरण से बच्चों को सीजनल बीमारियों से बचाया जा सकता जिससे बच्चों को स्वाभाविक रूप से कोरोना वाइरस से लड़ने में मदद मिलेगी।
सूबे में शिक्षा के क्षेत्र में बड़े सुधार की तैयारियां शुरू हो गयी हैं मुख्यमंत्री के निर्देश पर इस वर्ष दीपावली तक राज्य के 430 जर्जर हो चुके विद्यालयों का कायाकल्प करने की योजना पर कार्य शुरू कर चुकी है। मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार शत्रुघ्न सिंह ने प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में अवस्थापना सुविधाओं, स्मार्ट क्लासेज आदि व्यवस्थओं को पुख्ता करने की दिशा में जिला योजना के 15 फीसदी बजट को विद्यालयों पर खर्च करने हेतु अधिकारियों को निर्दर्शित कर दिया है। अनेक विद्यालयों में शौचालय बनने है। लगभग 9हजार कंप्यूटर दिए जाने हैं 139 स्कूलों में पेयजल नही है माध्यमिक के 80405 छात्रों के पास बैठने को कुर्सी नही जिसकी व्यवस्था सुनिश्चित होनी है। साथ ही अटल आदर्श विद्यालयों को बेहतर तरीके से विकसित किया जाना भी योजना का हिस्सा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि बच्चों के स्वास्थ्य एवं शिक्षा से जुडी योजनाओं में आधार कार्ड को शामिल करती है तो इससे बच्चों से जुड़ी तमाम जानकारियों का सरकार के पास एक डाटा संरक्षित हो जाएगा जो भविष्य में काफी उपयोगी साबित हो होगा।
भाजपा के संस्थापक स्व.दीनदयाल उपाध्याय का कहना था कि “हमे ध्यान में रखना चाहिये कि जनता के दुखों के समय उसका मार्गदर्शन करना उसके निराकरण के लिए आगे आना जनता के प्रति अपने कर्तव्यों की पूर्ति करना है वही सच्चा मित्र है जो कठिन प्रसंग पर साथ दे। जनता इस बात को पहचानती है” (दीनदयाल उपाध्याय पर आधारित पुस्तक से ) तीरथ रावत अपने पार्टी के संस्थापक के उक्त कथन के मर्म से भली परिचित नजर आते हैं। शायद इसी लिये
कोरोना संकट के साथ साथ तमाम राजनीतिक अंतर्विरोधों से जूझ रहे तीरथ रावत द्वारा राज्यहित में लिए गए निर्णयों में नेतृत्व की दूरदर्शिता झलक रही है। यहां मुख्यमंत्री को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि जनता तक उक्त योजनाओं लाभ पहुँच सके।