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    सचिवालय कार्मिकों की लापरवाह कार्यशैली पर सख्त हुए मुख्यमंत्री

     सचिवालय जन आकांक्षाओं का भी केन्द्र होता है, जनहित से जुड़ी योजनाओं की स्वीकृति में तेजी आने से उसका लाभ आम आदमी को समय पर मिल सकेगा –
                                    त्रिवेंद्र सिंह रावत ,मुख्यमंत्री

    सचिवालय किसी भी राज्य का सबसे महत्वपूर्ण कार्यस्थल होता है जहां से राज्य के विकास की गंगा बहती है अब अगर उद्गम स्थल ही अव्यवस्थाओं से भरा हो तो विकास की धारा  प्रभावित होना स्वाभाविक है। उत्तराखंड के सत्तालोलुप राजनीतिक नेतृत्व की अदूरदर्शिता व प्रशासनिक अक्षमता का अगर सर्वाधिक नकारात्मक प्रभाव कहीं पड़ा है तो वह है उत्तराखंड राज्य का सचिवालय, जहां राज्य के विकास योजनाओं की फाइलों के आगे स्पीड ब्रेकर लगाने से लेकर अनुभागों में मठाधीशी कायम करने तक का कार्य बीते अनेक वर्षों के दौरान विभिन्न सरकारों के कार्यकाल मे देखने को मिलता रहा हैं। यह मठाधीश बड़ी निर्लज्जता से जनहितकारी योजनाओं की फाइलों में जलेबी बनाने में महारत हासिल कर चुके थे साथ ही अधिकारियों से सांठगांठ कर दो-दो तीन-तीन अनुभाग में कब्जा जमाये हुए थे। कुछ दिनो पूर्व एक अनुभाग में मुख्यमंत्री के आदेश को ठेंगा दिखा फाइल दबाने सम्बन्धी प्रकरण के उभरकर आने के बाद से पूरे सचिवालय में हड़कंप मचा हुआ था। जिसके बाद सभी की निगाहें मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के रुख पर टिकी हुई थी। प्रदेश की बागडोर संभालने के बाद से ही त्रिवेंद्र सिंह रावत का प्रयास सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाने का रहा हैं। मंगलवार को सचिवालय में अनुभागों की कार्यप्रणाली पर चर्चा के दौरान त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए अधिकारियों को निर्देश जारी किये।

    मुख्यमंत्री ने बैठक मे अनुभागों में पत्रावलियों के निस्तारण में आनावश्यक विलम्ब के लिये उत्तरदायी कार्मिको के मात्र स्थानांतरण को काफी न मानते हुए उनके विरूद्ध कठोर कार्यवाही किये जाने के सख्त निर्देश अधिकारियों को दिये। सचिवालय में पत्रावलियों का निस्तारण समय पर समयबद्धता के साथ हो, इसके लिये उन्होंने लोक निर्माण, सिंचाई, आवास, खनन, आबकारी एवं पेयजल अनुभागों में निर्धारित अवधि से अधिक समय तक कार्यरत कार्मिकों को  सप्ताह के अन्दर स्थानान्तरित करने के निर्देश सचिव सचिवालय प्रशासन को दिये।  अनुभाग स्तर से पत्रावलियां अब निर्धारित प्रक्रिया के तहत उच्चाधिकारियों को प्रस्तुत करने के उपरांत वापसी में सीधे सेक्शन को सन्दर्भित की जाएंगी। जिससे समय की बचत के साथ ही आदेशों के क्रियान्वयन में शीघ्रता हो सकेगा।देखने वाली बात यह होगी कि मुख्यमंत्री के इस आदेश से फाइलों को आगे पीछे खिसकाने में लगने वाले भृष्टचार के बल के प्रयोग में कितनी कमी आती है।अनुभाग अधिकारी एवं समीक्षा अधिकारी को अब एक ही विभाग का कार्य सौंपा जायेगा कार्मिकों को सभी विभागों की कार्य प्रणाली की जानकारी रहे।

    मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव ओम प्रकाश, अपर मुख्य सचिव  मनीषा पंवार व सभी सचिवों एवं प्रभारी सचिवों के साथ सचिवालय की कार्य प्रणाली में सुधार एवं ई- फाइलिंग पर कार्य करने के निर्देश जारी किये ,साथ ही कहा कि भविष्य में यह स्थिति कदापि उत्पन्न न हो कि मुख्यमंत्री तथा मुख्य सचिव के अनुमोदन के पश्चात सेक्शन स्तर पर पत्रालियों के निस्तारण में अनावश्यक विलम्ब हो। पत्रावलियों का समयबद्धता के साथ निस्तारण किये जाने हेतु पर्यवेक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी जिसके अंतर्गत माह के अंत मे सचिव अनुभागों का निरीक्षण करेंगे।  ई- फाईलिंग को सीएम डैशबोर्ड से लिंक किया जाएगा। लम्बित प्रकरणों का निर्धारित समय सीमा के अन्दर निस्तारण करने के संदर्भ में पहले लो.नि.वि, सिंचाई, ऊर्जा, कार्मिक एवं गृह विभाग की ई- फाइलिंग तैयार करने को कहा गया है। कार्मिकों का वार्षिक मूल्यांकन कर बेहतर कार्य करने वाले कार्मिकों को पुरस्कृत किये जाने की व्यवस्था करने के भी निर्देश दिये।मुख्यमंत्री ने सचिवालय मैनुअल के पुनर्मूल्यांकन के लिए मैनुअल रिफॉर्म हेतु गठित समिति से शीघ्र अपनी अनुशंसा उपलब्ध कराने को कहा। त्रिवेंद्र रावत ने कार्मिकों के हित तथा विभागीय कार्यों में गति लाने के लिये विभागों में प्रत्येक माह के अन्तिम दिवस को डीपीसी के लिये निर्धारित करने के निर्देश दिये। अब तक हुए कैबिनेट के सभी निर्णय का शत प्रतिशत अनुपालन हो यह सुनिश्चित किया जाए। विभागीय/निदेशालय स्तर के अधिकारियों को अनावश्यक सचिवालय न आना पड़े, इसके लिये अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की व्यवस्था अमल में लाया जाएगा। अनुभागों में कार्मिकों की उपस्थिति की प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिये सी.सी.टी.वी. की निगरानी  में आदेश  उच्चाधिकारियों को दिये।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि शासन स्तर पर जनहित में कोई नीति बनायी जाये तो उसकी ड्राफ्ट को वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाए। ताकि जनता के सुझाव भी प्राप्त कर व्यावहारिक नीति बनाने में मदद मिले।

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