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    पश्चिम बंगाल: राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बनती राजनीतिक तुष्टिकरण की मजहबी हिंसा

     

    कुलदीप एस राणा,

    देहरादून

    बिगड़ते राजनीतिक हालातों के बीच हिंसा ने पश्चिम बंगाल से हिंदुओं को पलायन के लिए मजबूर कर दिया है। यह घटनायें बिल्कुल कश्मीरी पंडितों के पलायन जैसी है। टीएमसी के समर्थकों द्वारा गैर टीएमसी समर्थक हिंदुओं को लगातार निशाना बनाये जाने के घटनायें अब आम हो गयी है। लोकतांत्रिक राजनीतिक प्रतिस्पर्धा से इतर भाजपा के पक्ष में मताधिकार के प्रयोग करने वाले हिंदुओं को विशेष रूप से निशाना बनाया जा रहा है।उनके घरों को जलाना, दुकानों को लूटना एवं सुनियोजित तरीके से हिंसा फैलाना यह सब पश्चिम बंगाल में हो रहा है।जिनमे प्रमुख रूप से रोहिंग्याओं की भूमिका राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से बेहद गंभीर हो नजर आ रही है। 24 परगना क्षेत्रों केे अलावा अनेक विधानसभाओं में हिंदुओं के साथ हुई हिंसक घटनाओं में रोहिंग्याओं की भूमिका स्पस्ट रूप से बंगाल पुलिस के सामने है किन्तु वह मूक दर्शक बनी हुई है। टीएमसी के मुस्लिम समर्थकों द्वारा बुलडोजर से गाँव गाँव को तबाह किया जा रहा है। परिणाम आने के बाद से शुरु हुआ हिंसा का दौर थमने का नाम नही ले रहा है जिसमे पहली हत्या भाजपा कार्यकर्ता अभिजीत सरकार की हुई। ममता बनर्जी की राजनीतिक महत्वकांक्षा ने राज्य की संप्रभुता को ताक पर रख दिया है। हिंसा के कारण अब तक लगभग 10से 12 हजार लोग पलायन कर चुके है।सत्ता के दबाव हिंसा के 28 केस पुलिस द्वारा रजिस्टर किये गए जबकि यह संख्या 78 से भी अधिक है। वही टीएमसी द्वारा भाजपा के विरुद्ध हिंसा के 1320 केस दर्ज कराए है

    ऑनलाइन पत्रकार वार्ता को संबोधित करते पश्चिम बंगाल भाजपा से पूर्व राज्यसभा सांसद स्वप्न दासगुप्ता

    यह कहना है पश्चिम बंगाल से भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद एवं पद्मभूषण पुरुस्कार से सम्मानित स्वप्न दासगुप्ता का।पश्चिम बंगाल के वर्तमान हालातों एवं उससे राष्ट्रीय संप्रभुता को हो रहे नुकसान को लेकर राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के अनुषांगिक संगठन प्रज्ञा प्रवाह पश्विमी उत्तर प्रदेश- उत्तराखंड ने रविवार 30 मई को ऑनलाइन प्रेस वार्ता का आयोजित की। जिसमे मुख्य वक्ता के रूप में शामिल स्वप्न दासगुप्ता ने बंगाल के हिसंक हालातों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि चुनाव से पूर्व ही बंगाल में लगभग 120 मौते हो चुकी थी। हत्याओं के क्रम चुनाव बाद भी जारी है ममता बनर्जी की सरकार उन्मादियों का साथ दे रही है। महिलाओं के साथ बलात्कर की घटनायें बढ़ गयी हैं। गवर्नर द्वारा हिंसा एवं बलात्कर की घटनाओं को लेकर लगातार पश्चिम बंगाल प्रशासन को लिख रहे है किंतु कार्यवाही कुछ नही हो रही। टीएमसी कैडर के कार्यकर्ताओं द्वारा की रही हिंसा अब मजहबी हिंसा में बदल गयी है। स्वप्न दासगुप्ता ने कहा कि वह बंगाल हिंसा की विस्तृत रिपोर्ट गृह मंत्रालय भारत सरकार को भेज चुके हैं।

    पत्रकार वार्ता में प्रज्ञा प्रवाह के क्षेत्रिय संयोजक भगवती प्रसाद, देवभूमि विचारमंच के अध्यक्ष डॉ. चैतन्य भंडारी ,उत्तराखंड भाजपा उपाध्यक्ष डॉ देवेन्द्र भसीन प्रमुख विचारक विकास सारस्वत व डॉ अंजलि वर्मा उपस्थित रहीं।

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