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    ” मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना” विनिर्माण में 25 व सेवा क्षेत्र में 10 लाख तक ऋण।

    राज्य के उद्यमशील एवं प्रवासी उत्तराखण्डवासियों को स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित करना मुख्य उद्देश्य।
    राज्य में स्वरोजगार विकसित करने की दिशा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गुरूवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना का शुभारम्भ किया। राज्य सरकार द्वारा रिवर्स पलायन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह योजना दूरगामी सिद्ध हो सकती है। राज्य में लघु उद्योग के बढ़ावा देने के लिये मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को उक्त योजना की जानकारी गांव-गांव तक पहुचाने के निर्देश दिये है,  योजना के तहत लोन लेने वालों को किसी भी प्रकार की समस्या न हो इसके लिए  बैंकर्स के साथ समन्वय करने की जिम्मेदारी सम्बंधित जिले के डीएम की होगी।
    मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना को लांच करते त्रिवेंद्र रावत
     स्वरोजगार से रिवर्स पलायन को मिलेगा बढ़ावा
    मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, राज्य के उद्यमशील युवाओं और कोविड-19 के कारण उत्तराखण्ड वापस लौटे लोगों को स्वरोजगार के अवसर उपलब्घ कराने के उद्देश्य से शुरू की गई है। इससे कुशल और अकुशल दस्तकार, हस्तशिल्पि और बेरोजगार युवा खुद के व्यवसाय के लिए प्रोत्साहित होंगे। राष्ट्रीयकृत बैंकों, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और सहकारी बैंकों के माध्यम से ऋण सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
    मार्जिन मनी अनुदान के रूप में होगी समायोजित
    मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में राष्ट्रीयकृत बैंकों, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों, सहकारी बैंकों के माध्यम से सभी पात्र विनिर्माणक, सेवा और व्यावसायिक गतिविधियों के लिए वित्त पोषित किया जायेगा। एमएसएमई विभाग द्वारा योजना के अन्तर्गत मार्जिन मनी की धनराशि अनुदान के रूप में उपलब्ध कराई जायेगी। विनिर्माण क्षेत्र में परियेाजना की अधिकतम लागत 25 लाख रूपये और सेवा व व्यवसाय क्षेत्र के लिए अधिकतम लागत 10 लाख रूपये होगी। एमएसएमई नीति के अनुसार वर्गीकृत श्रेणी ए में मार्जिन मनी की अधिकतम सीमा कुल परियोजना लागत का 25 प्रतिशत, श्रेणी बी में 20 प्रतिशत तथा सी व डी श्रेणी में कुल परियोजना लागत का 15 प्रतिशत तक मार्जिन मनी के रूप में देय होगी। उद्यम के 02 वर्ष तक सफल संचालन के बाद मार्जिन मनी, अनुदान के रूप में समायोजित की जायेगी। योजना के अन्तर्गत सामान्य श्रेणी के लाभार्थियों द्वारा परियोजना लागत का 10 प्रतिशत जबकि विशेष श्रेणी के लाभार्थियों को कुल परियोजना लागत का 05 प्रतिशत स्वयं के अंशदान के रूप में जमा करना होगा।
     पात्रता की शर्तें एवं अहर्ता
    योजना के अन्तर्गत आवेदक की आयु कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए। शैक्षिक योग्यता की बाध्यता नहीं है। योजना के अन्तर्गत उद्योग, सेवा एवं व्यवसाय क्षेत्र में वित्त पोषण सुविधा उपलब्ध होगी। आवेदक अथवा उसके परिवार के सदस्य को योजना के तहत केवल एक बार लाभान्वित किया जायेगा। लाभार्थियों का चयन अधिक आवेदन प्राप्त होने पर प्रोजेक्ट वायबिलिटी को देखते हुए ‘पहले आओ पहले पाओ’ के आधार पर किया जायेगा।
    आवेदन की प्रक्रिया एवं योजना का क्रियान्वयन
    आवेदक, महाप्रबंधक एवं जिला उद्योग केन्द्रों में ऑनलाइन एवं मैनुअल आवेदन कर सकते हैं। योजना के क्रियान्वयन के लिए एमएसएमई विभाग के नियंत्रणाधीन उद्योग निदेशालय, उत्तराखण्ड नोडल विभाग होगा। योजना का क्रियान्वयन जिला स्तर पर जिला उद्योग केन्द्र द्वारा किया जायेगा।
    कोरोना काल मे उत्पन्न हालातों में जो लोग अपने अपने घरों की तरफ वापसी कर रहे है उन्हें राज्य में रोके रखना का मुख्यमंत्री का यह प्रयास कितना कारगर साबित होगा यह आने वाले वक्त में ही पता चलेगा।
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