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    केंद्र-शासित हो उत्तराखंड-दीपक जोशी

     

    दीपक जोशी, अध्य्क्ष सचिवालय संघ

    त्तराखंड सरकार लगातार कर्मचारियों के विरोध में कार्य कर रही हैं।अभी तक सरकार एक भी निर्णय ऐसा नही आया है जो कर्मचारियों के हित मे रहा हो। कभी प्रमोशन मामलों में कर्मचारियों को प्रताड़ित होना पड़ता है तो कभी नियमो को ताक पर रख कर किये जा ट्रांसफर में। हम भी देख रहे हैं कि प्रदेश कोरोना महामारी से जूझ रहा है। राज्य की वित्तीय हालात ठीक नही है। लेकिन क्या मात्र राजकीय कर्मचारियों के एक दिन के वेतन में कटौती व महंगाई भत्तों की 4 %की देयता पर रोक लगा देने से राज्य की वित्तीय स्थिति सुधार जाएगी। सरकार अपने विधायकों, दायित्वधारियों के खर्चों में कटौती क्यों नही करती है। अगर सरकार को लगता है वह राज्य का वित्तीय प्रबंधन करने में असमर्थ है तो उत्तराखंड को केंद्रशासित राज्य घोषित करने के लिए केंद्र सरकार के समक्ष आवेदन कर दे। कम से कम राज्य का वित्तीय प्रबंधन तो पटरी में आएगा और कर्मचारियों के हितों की भी रक्षा हो सकेगी। यह कहना है सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी का ।

    उत्तराखंड कोरोना वायरस के दुष्प्रभाव से गुजर रहा है।
    लॉक डाउन के कारण राज्य की वित्तीय स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। ऐसे माहौल में वित्तीय प्रबंधन के नाम पर वेतन भत्तों में कटौती किये सम्बन्धी शासनादेश जारी होने से सरकार कर्मचारियों के निशाने पर आ गयी है। उक्त आदेश के विरोध में सचिवालय संघ से लेकर प्रदेश के तमाम कर्मचारी संगठन लामबंद होने लगे है। कर्मचारियों का कहना है कि सरकार अपने विधायकों व दायित्वधारियों के खर्चों में कटौती करने में तो समर्थ नही दिख रही हैं। लंबा समय बीत जाने के बाद भी  सरकार विधायकों से वेतन से 30% कटौती पर सहमति तो ले नही सकी है, और कर्मचारी को प्रताड़ित कर रही है। सरकार सिर्फ राज्य के वित्तीय प्रबंधन में सुधार की चिंता कर रही है। राज्य के कर्मचारीयों के वित्तीय प्रबंधन की चिंता क्या सरकार को नही करनी चाहिए।
    राज्य सरकार की लगातार राजकीय कर्मचारीयों के धैर्य की परीक्षा ले रही हैं क्या इस प्रकार के शासन व्यवस्था के लिए उत्तराखंड राज्य की लड़ाई लड़ी गयी थी। कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ कर्मचारी नेताओं का स्पस्ट कहना है कि यदि सरकार अपना यह निर्णय वापस नहीं लेती है तो कोरोना महामारी के संकट से बाहर आते ही सम्पूर्ण राज्य में सरकार की इस प्रकार की नीतियों के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा।
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