फ़िल्म अभिनेता व कांग्रेस नेता राजबब्बर उत्तराखंड कोटे से राज्यसभा सांसद है। वह उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बेहद करीबी मित्रों भी है। इस मित्रता की घनिष्ठता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है। कि वर्ष 2015 में हरीश रावत ने राजबब्बर को राज्यसभा भेजने में निर्णायक भूमिका निभायी थी। मनोरमा शर्मा की असमय मृत्यु से रिक्त हुई उक्त सीट के लिए कांग्रेस से विजय बहुगुणा व किशोर उपाध्याय भी प्रबल दावेदार थे, किंतु अपने राजनीतिक कौशल से हरीश रावत ने अपने मित्र राजबब्बर को निर्विरोध राज्यसभा पहुँचा दिया था। 2021 तक वह राज्यसभा सदस्य रहेंगे।आज उत्तराखंड की जनता हरीश रावत से पूछ रही है कहाँ उनका मित्र राजबब्बर।
विगत पांच वर्षों में न तो कांग्रेस के इस सांसद का पता है न सांसद निधि का। जनता जानना चाहती है कि उत्तराखंड का पैसा वह कहां खर्च कर रहें है।
सूबे में सांसद साहब का कोई प्रतिनिधि कहीं भी नजर नही आता है। निर्वाचन के बाद राजबब्बर कभी उत्तराखंड आयें हो ऐसा जनता को भी याद नही है। राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महामारी के इस दौर में राजबब्बर की सक्रियता राज्य में बिखर चुकी कांग्रेस लिए संजीवनी सिद्ध हो सकती थी। वर्तमान हालात में हरीश रावत का यह फिल्मी सितारा उत्तराखंड में फ्लॉप साबित हुआ है ? राजनीतिक सक्रियता के मामले में क्या कांग्रेस के सांसद को बीजेपी के अनिल बलूनी से नहीं सीखना चाहिये? जिनका नाम राज्य में बच्चे-बच्चे की जुबान पर है।