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    जनता के हितों से खिलवाड़ करने का हक किसी को नही -त्रिवेंद्र सिंह रावत

    “जनता के हितों से खिलवाड़ करने का हक चाहे वह छोटा  कर्मचारी हो अधिकारी हो कोई भी हो ,किसी को नही है।” बीते दिनों मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यह बात सचिवालय कर्मियों की कार्यशैली को लेकर मीडिया के सवाल के जवाब देते हुए कहीं। यह बात कहते  हुए मुख्यमंत्री की बॉडी लैंग्वेज काफी कुछ बयां कर रही थी। चेहरे पर गंभीरता के साथ बड़े ही सख्त लहजे में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने न सिर्फ सचिवालय कर्मियों बल्कि अन्य कर्मचारियों एवं अधिकारियों को अपना सन्देश दे दिया। लहजे में चेतावनी भी थी और राज्य के विकास के प्रति चिंता का भाव भी।
    लोकतंत्र में जनता के हितों को सर्वोपरि कहा गया है। सरकार चाहे किसी भी दल की क्यों न हो अगर उसके कार्यों में जनहित की प्रमुखता नही तो वह ज्यादा समय तक सत्ता के शीर्ष पर नही टिक सकती है। यह उत्तराखंड राज्य की विडंबना है कि राज्यवसियोँ का भाग्य सचिवालय की फाइलों में उलझा हुआ है जो कुंडली के विभिन्न खानों की भांति विभिन्न अनुभागों में बैठे राहु -केतु के कारण उलझा हुआ है।अनेकों मसलों पर यह बात उभर कर सामने आती रही है कि सचिवालय के कुछ कर्मी फाइलों की मूवमेंट को लेकर गंभीरता से कार्य नही करते है। जिसका सर्वाधिक नुकसान राज्य की जनता को उठाना पड़ता हैं। जनहित के मसलों से लेकर भृष्ट कर्मियों अधिकारियों की जांच रिपोर्ट अनुभागों की अलमारियों पर वर्षों धूल फांकती रहती है। पर्वतीय क्षेत्रों के विकास योजनाओं में भ्रष्टाचार की अनेक जाँच रिपोर्ट कार्यवाही के  इंतजार में इन्ही अलमारियों में दम तोड़ देती है  किंतु कार्यवाही के लिए कभी प्रस्तुत नही कि जाती हैं।
    अनुभागों -विभागों की कार्यशैली में बदलाव के साथ तेजी लाने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री द्वारा ई फाइलिंग की व्यवस्था राज्य के विकास को मुकम्मल करने दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम के रूप में विशेषज्ञ देख रहे हैं।
    देखने वाली बात यह है कि क्या यह चेतावनी मात्र कर्मचारियों या अधिकारियों तक ही सीमित है या  इसकी जद में राजनीति से जुड़े वो लोग भी शामिल है जो भृष्ट कर्मचारियों के साथ मिलकर भृष्टचार का खेल खेलते है।
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