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गलत नेरेटिव से भारतीय परम्पराओं को नुकसान : रघुनंदन

समाज में गलत नैरेटिव स्थापित कर भारतीय परम्पराओं को नुकसान पहुँचाये की बहुत बड़ी साजिश की जा रही है -रघुनन्दन, अखिल भारतीय सह संयोजक प्रज्ञा प्रवाह

हरिद्वार के कांगड़ी क्षेत्र में स्थित जूना अखाडा के श्री प्रेम गिरि धाम में चल रहे प्रज्ञा प्रवाह के पश्चिम उत्तरप्रदेश -उत्तराखंड क्षेत्र का दो दिवसीय क्षेत्र अभ्यास वर्ग आज पूर्ण हो गया। उक्त अभ्यास वर्ग में प्रज्ञा प्रवाह के पश्चिम उत्तरप्रदेश क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले उत्तराखंड, मेरठ व ब्रज इकाई के 80 कार्यकर्त्ता शामिल हुये।
प्रशिक्षण वर्ग कुल 7 सत्रों में आयोजित किया गया।अभ्यास वर्ग में पधारे वक्ताओं ने राष्ट्र,समाज और हिंदुत्व की चुनौतीयों से सम्बंधित विषयों पर कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन किया। वर्ग में पधारे अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य रामाशीष सिंह ने हिंदुत्व,स्व व भारत की अवधारणा विषय पर कहा कि भारतवर्ष को अनेक प्राचीन नाम से जाना जाता था जिनमे “अजनाभ वर्ष” तथा “नाभि वर्ष “नाम भारतवर्ष नाम स्थापित होने से पूर्व पुकारे जाते थे। भागवत गीता में भी श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को भारत नाम से पुकारा गया है। भारत का विचार सृष्टि एवं प्रकृति से जुडा हुआ है जिसे अलग करके नहीं देखा जा सकता है। पश्चिम उत्तरप्रदेश के क्षेत्र संयोजक देवराज सिंह ने कुटुंब प्रबोधन, स्वदेशी जागरण, पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक समरसता, एवं नागरिक कर्तव्य के बारे में चर्चा की।


अभ्यास वर्ग के दूसरे दिन के प्रथम सत्र में प्रख्यात स्तम्भ लेखक विकास सारस्वत ने देश समाज की वर्तमान चुनौतियों मजहबी,राजनीतिक तथा आर्थिक विचारों जैसी चुनौतियों पर विस्तार से बात रखते हुये देश में धर्म परिवर्तन,अतिवादी मजहबी ताकतों के चेहरे से नकाब हटाने काम किया। नागपुर से अभ्यास वर्ग में पधारे पूर्व अखिल भारतीय संयोजक प्रज्ञा प्रवाह एवं अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य प्रो सदानंद दामोदर सप्रे ने प्रज्ञा प्रवाह के आयामो के बारे में चर्चा करते हुये उनके द्वारा किये जाने वाले कार्यों पर वर्ग में आये कार्यकर्ताओ का मार्गदर्शन किया।


अभ्यास वर्ग के साथ ही पूर्व एवं पश्चिम उत्तरप्रदेश(उत्तराखंड )क्षेत्र के संयोजक भगवती प्रसाद राघव ने प्रज्ञा प्रवाह के विभिन्न आयामों के दायित्ववान व कार्यकर्ताओं के साथ क्षेत्र की आगामी कार्य योजना एवं लक्ष्य के बारे बैठक कर दिशा कार्यकर्ताओं को निर्देश निर्देशित भी किया।प्रज्ञा प्रवाह विभिन्न राज्य स्तरीय संगठनों के माध्यम से काम करता है।जिसके प्रत्येक राज्य में अलग-अलग नाम हैं। उत्तराखंड मे यह “देवभूमि विचार मंच” व पश्चिमी उत्तर प्रदेश मे मेरठ इकाई “भारतीय प्रज्ञान परिषद” एवं ब्रज इकाई “प्रज्ञा परिषद” के नाम से संगठित है। प्रज्ञा प्रवाह की देश के विभिन्न प्रदेशों के सैकड़ों विश्वविद्यालयों में ,जिला एवं मण्डल सत्र पर शाखाएं हैँ।प्रज्ञा प्रवाह नियमित रूप से प्रशिक्षण सत्र और सम्मेलन आयोजित करता है व दो वर्ष मे एक “लोक मंथन” आयोजित करता है। इसके अलावा भगवती प्रसाद राघव ने नवम्बर माह के 21से 24 तारीख तक तक “भाग्यनगर”मे प्रस्तावित“लोकमंथन 2024” के आयोजन में भाग लेने के लिए कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया।
वर्ग के अंत में अखिल भारतीय सह संयोजक प्रज्ञा प्रवाह रघुनन्दन द्वारा प्रश्नोत्तर सत्र में वर्ग में आये कार्यकर्ताओ की जिज्ञासा का समाधान करने का प्रयास किया गया। उन्होंने कहा कि समाज में गलत नैरेटिव से भारतीय परम्पराओं को पहुचाये जा रहे नुकसान पर चर्चा की। अगर ऐसे नहीं सुधारा गया तो यह आने वाले समय में भारत की संस्कृति को नुकसान पहुंचा सकता है।

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