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    धामी शपथ ग्रहण में भाजपा के पॉवर प्रजेंटेशन के मायने

    कुलदीप सिंह राणा..

    10 मार्च को आये विधानसभा चुनाव परिणाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर उत्तराखंड की जनता के भरोसे का ही परिणाम है।यह परिणाम राज्य को एक नई दिशा में ले जाते प्रतीत हो रहे है।  पहली बार पार्टी की लगातार दूसरी जीत एवं मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पुष्कर सिंह धामी को पुनः बैठाकर भाजपा ने प्रदेश में एक नया इतिहास रचा है। इस जीत से यह भी साबित हो गया कि विपक्ष के पास मोदी मैजिक का कोई तोड़ नही है।

    इन चुनाव परिणामो से निकले संकेत प्रदेश भाजपा के साथ-साथ प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के लिए भी बड़ा सबक है एवं राजनीतिक भितरघातियों एवं गुटबाज नेताओं के लिए कड़ी चेतावनी भी। उत्तराखंड में मुख्यमंत्री की पराजय कोई नई बात नही है। दल चाहे कोई भी हो नेतृत्व के साथ भितरघात के मामले में स्थितियों समान रही है,फिर चाहे 2012 में खंडूरी है जरूरी के बावजूद तत्कालीन सीएम बीसी खंडूरी का हार हो या 2017 में हरीश रावत की दोनो सीटों पर हुई हार और अब 2022 में खटीमा से युवा नेतृत्व पुष्कर धामी की पराजय, क्या संकेत करती है? भितरघातियों ने सीएम को हरा कर हमेशा राज्य में नेतृत्व को नष्ट करने का कार्य किया है।

    पुष्कर धामी भले ही चुनाव हारे हो किन्तु राज्य में भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने में की गई उनकी मेहनत को नजरअंदाज नही किया जा सकता है।

    उत्तराखंड में मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री,गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ,सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, व यूपी के कार्यवाहक सीएम योगी आदित्यनाथ के अलावा अन्य भाजपाई मुख्यमंत्रियों के उपस्थिति से पॉवर प्रजेंटेशन कर भाजपा ने उत्तराखंड की जनता में एकता और विस्वास का संदेश देने का प्रयास किया है। उत्तराखंड में भाजपा की जीत के पीछे का एक बड़ा कारण यह भी रहा कि महँगाई,बेरोजगारी और विधायकों से असंतुष्टि के बावजूद भी जनता को यह भरोसा कायम दिखा कि देश-प्रदेश में जो समस्यायें है उनका निदान तो मोदी ही कर सकते है।  2014 के बाद से सूबे में भाजपा का बाढा हुआ वोट प्रतिशत भी यही संकेत करता है।

    धामी मंत्रिमंडल में पुराने चेहरों के स्थान पर नये एवं युवा चेहरों को स्थान देने से सरकार एवं पार्टी में परफॉर्मेंस की प्राथमिकता को लेकर एक बड़ा सन्देश भी दिया गया है। इन बदली हुई परिस्थितियों में पुष्कर धामी के कंधों पर भी सुशासन के मामले में नये प्रतिमान स्थापित करने की बड़ी जिम्मेदारी होगी।

    उत्तराखंड उत्तर प्रदेश मणिपुर गोवा में  भाजपा के पक्ष में आये परिणाम बताते है कि यह मोदी पर जनता के भरोसे की जीत है।  

    वहीं 2017 के बाद से राज्य में कांग्रेस की स्थिति बेहद बेहद कमजोर होती जा रही है या यूं कहें कि कांग्रेस दिशाहीन हो गयी है तो अतिशयोक्ति न होगा। कांग्रेस का जनता को 500 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर व 5 लाख परिवारों को प्रतिवर्ष 40 हजार रुपये का प्रलोभन प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के आगे धरासायी हो गया।जनता ने नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के विजन पर भरोसा करते हुए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को आइना दिखाने का काम किया।

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