सीबीसीटी की देश मे मात्र16 मशीने उपलब्ध, एमआरटी तकनीक से अपग्रेड यह पहली मशीन।
देहरादून
बदलती जीवन शैली के कारण लोगों में दांतों की समस्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में डेंटल साइंस मानव जीवन मे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।आधुनिक उपकरण एवं चिकित्सा प्रक्रिया ने उपचार को बेहद सुरक्षित एवं पारदर्शी बना दिया है। शनिवार, 29 अगस्त देहरादून स्थित लक्ष्मी डेंटल में दांत एव जबड़े के 3D एक्सरे की आधुनिक मशीन को न्यूरो सर्जरी के विख्यात चिकित्सक डॉ महेश कुड़ियाल की उपस्थिति में लॉंच किया गया। सीबीसीटी यूनिट नाम की यह मशीन इटली से आयात की गई है। हिंदुस्तान में इस प्रकार की अभी तक कुल 16 मशीने हैं जिनमे से लेटेस्ट एवं अपग्रेड वर्जन की यह पहली मशीन है। डेंटल चिकित्सा में सीबीसीटी की उपयोगिता एवं उपचार में लाभ के बारे में लक्ष्मी डेंटल लेजर इम्प्लांट सेंटर के निदेशक डॉ नितेश कंबोज ने बताया कि 3D एक्सरे को डेंटल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में सीबीसीटी अर्थात कोंन बीम कंप्यूटर टोमोग्राफी यूनिट कहा जाता है। यह तकनीक दांत के एक्सरे में आधुनिक 2D एक्सरे एवं सीटी स्कैन तकनीक से भी कई गुना बेहतर एवं सुरक्षित है।
एमआरटी( मोरफ़ॉलोजी रिकग्निशन टेक्नोलॉजी) से अपडेटेड इस मशीन में रेडिएशन का न्यूनतम उपयोग होता है।इससे जांच के दौरान शरीर को नुकशान पहुचने की संभावना न के बराबर होती है। दंत चिकित्सा में उपचार प्रक्रिया में दांत ,मसूड़े एवं जबड़े की हड्डी का सीधा संबंध है। सीबीसीटी तकनीक से दांत, जबड़े एवं साइनस का पूरा 3D एक्सरे प्राप्त किया जा सकता है। साथ ही अनेक प्रकार के फिल्टर्स होने से मसूड़े की स्थिति का भी आंकलन किया जा सकता है जिससे पता लगाया जा सकता है कि मसूड़े में या जबड़े की हड्डी में किसी प्रकार का सिस्ट तो डेवलप नही हो रहा। सिस्ट ही आगे चलकर मुह के कैंसर का कारण भी बनता है। सीबीसीटी तकनीक से कंप्यूटर स्क्रीन पर पूरे जबड़े का 3D इमेज उभर कर आ जाता है। जिससे जबड़े में दांत की स्थिति का कई गुना बेहतर पता चल सकता है।
सामान्य से कई गुना बड़ी इमेज होने के कारण दांत की समस्या भी स्पस्ट नजर आती है। यह तकनीक स्क्रीन पर प्रत्येक दांत की अनेक एंगल से फोटो दिखाने में सक्षम है। जिससे जबड़े की हड्डी की स्थिति,वहां पर टीथ इम्प्लांट किये जाने को लेकर हड्डी के कमजोर एवं मजबूत स्थिति का आंकलन करने में भी यह तकनीक सक्षम है। इस तकनीक से मरीज को अपने मुह के भीतर मसूड़े व उसके अंदर की हड्डी में हो रहे किसी भी प्रकार के रोग की वास्तविक स्थिति की सम्पूर्ण जानकारी स्क्रीन पर मिल जाएगी।
यह तकनीक गले के मरीज के लिए भी उपयोगी है। इससे ओरल चिकित्सा में एयर वेज स्पेस एनालिसिस का परीक्षण किया जा सकता है जिससे मरीज में स्लीप एपेमियाँ नामक बीमारी का भी पता लगाया जा सकता है। इससे कार्डिएक्स अरेस्ट इंसोमियाँ व हाईपरटेंशन की बीमारी होने की संभावना रहती है।
इसके अलावा लक्ष्मी डेंटल लेजर इम्प्लांट सेंटर में उच्च तकनीक की माइक्रोस्कोप विधि द्वारा दांतो की सर्जरी व अन्य उपचार भी किये जाते हैं।लाइव स्क्रिमिंग कनेक्ट टेक्नोलॉजी द्वारा मरीज एवं उसके परिवारजन ऑपरेशन प्रक्रिया को स्क्रीन पर देख सकते हैं। मरीज भी अपने मुह के भीतर रोग की वास्तविक स्थिति से भी अवगत होता रहता है।
लक्ष्मी डेंटल उत्तर भारत का पहला डेंटल सेंटर है जहां पर फोटोना आल टिससु लेजर (लाइट वकार डीटी) द्वारा दांत ,जबड़े की हड्डी व मसूड़े की सफल सर्जरी की जाती है। हाल ही में लक्ष्मी डेंटल में डेन्टिनल ग्राफ्टिंग की भी शुरुवात की गई है जिसमे बीमार दांत को निकाले जाने के पश्चात उसे उचित उपचार कर उसी स्थान पर पुनः प्लांट किया जाता है। यह तकनीक अपने आप मे अब तक की सबसे उत्कृष्ट विधि है जिसमे प्राकृतिक दांत को बचा कर उसका पुनः उपयोग किया जा सकता है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ महेश कुड़ियाल ने डेंटल सर्जरी में लेजर एवं टेक्नोलॉजी के उपयोग से सर्जरी को बेहद सुरक्षित व कम समय मे हील करने वाला बताया। शुगर एवं हाईपरटेंशन के मरीजों के लिए लेजर तकनीक बेहद लाभकारी है। इससे उपचार में नुकसान कम व जल्दी ठीक होने की संभावना कही अधिक रहती है।
यह तकनीक डेंटल हेल्थ के क्षेत्र में पारदर्शिता के साथ ही उच्च गुणवत्ता से पूर्ण भी है। जिसका लाभ उत्तराखंड के लोगों का मिलेगा।