उत्तराखंड चुनाव 2022 चुनावी रणनीति में बढ़त लेती भाजपा पिछड़ती दिख रही काँग्रेस
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो जनसभा, केंद्रीय नेताओ की लगातार कार्यक्रम एवं रैली से चुनाव आचार सहिंता से पूर्व ही कांग्रेस की अपेक्षा बीजेपी उत्तराखंड में रणनीतिक बढ़त हासिल कर चुकी थी।

अपने बड़े नेताओं की रैली के मामले में आम आदमी पार्टी भी उत्तराखंड कांग्रेस से आगे रही। उत्तराखंड में राहुल गांधी की मात्र एक जनसभा देहरादून में सम्पन्न हुई

जबकि दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री आमआदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल भी सूबे में तीन जनसभा कर चुके थे।

प्रत्याशियों की सूची जारी करने का समय आया तो वहां आम आदमी पार्टी आगे रही किन्तु सूबे में सत्तासीन भाजपा के सूची जारी के दो दिन बाद 22 जनवरी की अर्द्ध रात्रि को कांग्रेस के योग्य उम्मीदवारों की खोज सम्पन्न हुई और 70 में से 53 प्रत्यशियों की सूची जारी हो पायी। यहां कांग्रेस 70 प्रत्यशियों के नामो का खुलासा कर जनता के बीच मनोवैज्ञानिक बढ़त ले सकती थी। क्योंकि भाजपा में भी 11 उम्मीदवारों की दूसरी सूची आनी शेष है।यह आलम तब है जब भाजपा के पास सरकार 57 सिटिंग एमएलए पहले से उपलब्ध थे। 2017 की हार के बाद कांग्रेस का अधिकांश शीर्ष एवं प्रभावशाली नेतृत्व घर बैठा हुआ था। बीत लगभग 5 वर्षों में कांग्रेस ने अपनी हार एवं भविष्य में जीत की रणनीति पर कितना चिंतन मंथन किया होगा इसका अंदाजा प्रत्यशियों के चयन में देरी से लगाया जा सकता है। बढ़ती तरीखों के साथ प्रचार के दिन कम होते जा रहें। कोरोना महामारी के कारण चुनाव प्रचार बुरी तरह प्रभावित हो रखा हैं। कांग्रेस में 17 सीटों पर प्रत्याशियों के चयन पर उहापोह की स्थिति अभी बरकरार है। कमोबेश भाजपा में भी कुछ यही हाल है। किंतु उसके 59 प्रत्याशी 20 जनवरी की शाम से ही अपनी अपनी विधानसभा में जुट गए है।
अंतिम समय में दायित्व बाँट कर भाजपा सरकार ने चतुराई से अधिकांश दावेदारों को पहले ही लॉलीपॉप पकड़ा शांत कर दिया। परिवर्तन होने पर इनका भविष्य बदली हुई सरकार के विवेक पर निर्भर पर ही निर्भर करेगा। पहली सूची जारी करने के बाद आंतरिक विद्रोह को शांत करने के लिए उसके पास कांग्रेस की अपेक्षा ज्यादा समय मिल गया था। जबकि कांग्रेस यहां भी पिछड़ती नजर आयी। निर्णय में देरी और प्रचार में बढ़त हासिल करने के लिये कांग्रेस के पास चुनौतियाँ बढ़ती अधिक है।