इंदिरा हृदयेश को लेकर बंसीधर के बयान पर मुख्यमंत्री ने जताया खेद।
सामाजिक जीवन मे अक्सर कहा-सुना जाता है “जबान संभाल कर बात करो”। राजनीति की राह बड़ी रपटीली होती है यहां अक्सर जबाने फिसल जाया करती है। कुमायूं के दौरे पर गये भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंसीधर भगत द्वारा सार्वजनिक मंच से नेता प्रतिपक्ष एवं वरिष्ठ कॉंग्रेस नेत्री इंदिरा हृदयेश को “बुढ़िया “सम्बोधित करना उत्तराखंड की राजनीति में खलबली पैदा कर गया। सोशल मीडिया के माध्यम से कुछ ही क्षणों में यह बयान कांग्रेस से लेकर राज्यवासियों के कानों तक भी पहुँच गया। फिर क्या था राजनीति में मर्यादा के झंडे बरदार खड़े हो गये और राजनीतिक मर्यादाओं को लेकर बयानबाजियों का दौर शुरू हो गया। कुछ लोगों ने इस पर विरोध जताया तो कुछ ने खूब चटखारे भी लिए। कुछ ने दिवंगत कांग्रेस नेता एवं सूबे के पूर्व सीएम एन डी तिवारी द्वारा इंदिरा हृदयेश का हाथ चूमते हुए का फोटो सोशल मीडिया पर अपलोड कर खूब प्रचारित किया। हालाकिं अधिकांश प्रदेशवासियों ने भगत के बयान पर निराशा व्यक्त की।
स्थिति की गंभीरता को देख सूबे के मुख्यमंत्री को स्थिति को संभालने के लिए खुद मैदान में उतरना पड़ा ।

त्रिवेंद्र रावत ने आधी रात के समय ट्वीट केे माध्यम से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष द्वारा इंदिरा हृदयेश के लिए कहे गए शब्दों पर खेद व्यक्त करते हुए उनसे फोन कर क्षमा मांगने हेतु अपनी बात रखी। जिसके बाद काफी हद तक हालात काबू में आते दिखायी दे रहे हैं।
महिला के सम्मान पर की गई अमर्यादित टिप्पणी के विरुद्ध आधी रात को किया गया मुख्यमंत्री का उक्त ट्वीट राज्यवासियों के मन-मस्तिष्क में त्रिवेंद्र रावत के प्रति एक नया दृष्टिकोण भी पैदा कर गया। विपक्षी दलों के नेता भी मुख्यमंत्री की सोच प्रसंशा कर रहे हैं।
एक जुबान ने हालात बिगाड़े तो दूसरी जुबान ने संभालें। हालाकिं अब देखने वाली बात यह होगी कि भाजपा की अनुशासन समिति अपने प्रदेश अध्यक्ष के उक्त बयान पर क्या कार्यवाही करती है क्योंकि मुख्यमंत्री के क्षमा मांगने से यह तो स्पस्ट हो गया है कि इंदिरा हृदयेश के लिये बंसीधर भगत द्वारा कहे गए शब्द अमर्यादित है।अब क्या यह अमर्यादा भाजपा में अनुशासनहीनता के दायरे में आती है या नही?