गवर्नमेंट दून मेडिकल कालेज में अनुशासन की धज्जियाँ उड़ाते प्रोफेसर्स व डॉक्टर्स

कुलदीप राणा /देहरादून

देहरादून स्थित गवर्नमेंट दून मेडिकल कालेज दिन प्रतिदिन अव्यवस्था,अनुशासनहीनता और राजनितिक षड्यंत्र का अड्डा बनता जा रहा हैँ।कुछ महीनों पहले ही कालेज कैंपस में एक प्रोफ़ेसर द्वारा अपने साथी प्रोफ़ेसर के साथ एमबीबीएस स्टूडेंट्स के सामने सरेआम गाली गोलोच करने का मामला प्रकाश में आया था उस घटना में उसी दौरान प्रमोट हुये एक प्रोफ़ेसर को अपनी राजनितिक हनक से उपजे घमंड में खुलेआम दबंगई करते हुये हॉस्टल में रह रहे स्टूडेंट्स से लेकर सरकारी आवास में रह रहे अन्य डॉक्टर्स-प्रोफेसर्स ने देखा, हालांकि किसी ने भी विवाद में बीच बचाव या उसे रोकने की कोशिश नहीं की, किसी ने भी यह नहीं सोचा कि इस प्रकार कि घटना से स्टूडेंट्स और जूनियर स्टॉफ पर क्या असर पड़ सकता है।उक्त घटना पर प्राचार्य दून मेडिकल कालेज का रुख बिलकुल भी सकारात्मक और न्यायसंगत नहीं दिखा, अतीत में घटित इन घटनायों के दुष्परिणाम परिणाम अब सामने आने लगे हैँ राजकीय दून मेडिकल कालेज अनुशासनहीनता का अड्डा बनता जा रहा है। इस प्रकार की घटनायें अब कालेज से बाहर अस्पताल में भी घटित होने लगी है। बीते शनिवार दून अस्पताल में भी कुछ इसी प्रकार की अनुशासन हीनता का वाक्या सामने आया है।प्रकरण ऑकोंलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर (डॉ )दौलत सिंह और उनकी जूनियर डॉ शशांक जोशी से संबंधित है। दोनो एक दूसरे पर मारपीट का आरोप लगा रहे है।
एनएमसी द्वारा सोमवार को डॉ दौलत सिंह की परिक्षा जाँच ड्यूटी लगायी गयी थी अन्य केंद्र पर ड्यूटी लगी होने के कारण शुक्रवार को उन्होंने विभागीय प्रोटोकाल के तहत इसकी सूचना वरिष्ठ डॉक्टर्स के साथ साथ जूनियर डॉक्टर्स के साथ साझा की, ताकि उनकी अनुपस्थिति में चिकित्सकीय कार्य बाधित न हो इसके लिये समन्वय स्थापित किया जा सके। उन्होंने जूनियर डॉक्टर्स को पत्र लिख कर सूचित करने का प्रयास किया, लेकिन बार बार सम्पर्क करने के बाद भी जूनियर डॉक्टर शशांक जोशी की तरफ से कोई रिस्पॉन्स नहीं आया तो शनिवार को डॉ दौलत सिंह स्वयं डॉ शशांक से मिलने पहुंच गये जिसके बाद आरोप है कि डॉ शशांक ने उनके साथ दुर्व्यवहार और बदसलूकी की। वहीं डॉ शशांक का कहना है कि डॉ दौलत सिंह ने ओपीडी में उनके साथ अभद्रता और मार पीट की है ।
अस्पताल के स्टॉफ कहना है कि यह कोई पहली घटना नहीं है दोनों डॉक्टर्स में पहले भी कई बार कार्यों और कायदों को लेकर टकराव हों चुका है दोनों के संबंध आपस में पहले से ही अच्छे नहीं है। डॉ शशांक पर पहले से ही ड्यूटी प्रोटोकाल का पालन न करने की विभागीय जाँच चल रही है। ड्यूटी पर देर से आने और प्रोटोकाल का पालन न करने पर प्रो दौलत कई बार डॉ शशांक को टोक चुके थे। वहीं पूर्व में डॉ शशांक भी मानसिक उत्पीड़न क़ी शिकायत प्रबंधन से कर चुके हैँ। दून अस्पताल के सीएमएस डॉ अग्रवाल द्वारा उक्त घटना पर जाँच के आदेश दे दिये गये हैँ। सच क्या है वह तो जाँच के बाद ही स्पस्ट हों पायेगा।

लेकिन जो विवाद इस प्रकार के घटनाक्रम से उपजता रहा है क्या वह मेडिकल कालेज की प्रतिष्ठा और डॉक्टर्स की छवि दोनों को प्रभावित नहीं करता है?
यहाँ सवाल यह भी उठता है कि यदि पहले की घटनाओं पर कालेज प्रशासन ने गंभीरता दिखायी होती और डेकोरम मेंटेन करने हेतु निर्णायक कार्यवाहियाँ की होती तो शायद इस प्रकार की घटनाओं के रिपीट होने की संभावना कम हो सकती थी, यह घटनायें मेडिकल कालेज में राजनितिक दखलअंदाजीयों और कमजोर प्रशासन को दर्शाती है। यहाँ लगभग प्रत्येक डॉक्टर किसी न किसी मंत्री नेता का आशीर्वाद प्राप्त कर बैठा हुआ है। अनेक डॉक्टर्स तो मेडिकल कालेज से ज्यादा मंत्रियों और सचिवालय में अनुभागों व सचिव के निजि सचिव के कार्यालय में देखे जा सकते हैँ। अब वे यहाँ कालेज प्रमुख से अनुमति लेकर तो आये नहीं होंगे।ज़ब हर एक खुद को दूसरे से ज्यादा तीस मार खाँ साबित करने में जुटा हों तो नियम कायदों की किसको पड़ी है।

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