वैदिक मन्त्रोंचार के उपरांत प्रातः 8:30 पर धाम के कपाट बंद
5 नवंबर को बाबा केदार की पंचमुखी डोली अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी
देहरादून (उत्तराखंड)
भैया दूज के पावन पर्व आज 3 नवंबर को विश्व प्रसिद्ध ग्यारहवे ज्योतिर्लिंग श्री केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हों गये। प्रातः काल 5:00 बजे से कपाट बंद किये जाने की प्रक्रिया आरम्भ हुई, वेदपाठीयों, आचार्यो एवं पुजारीयों द्वारा द्वारा स्वयंभू शिवलिंग की समाधि पूजा अर्चना की गयी। स्वयंभू शिवलिंग को बेलपत्र, पुष्प, भस्म आदि अर्पित कर समाधि रूप में सजाया गया, इसके बाद बाबा केदार की पंचमुखी उत्सव डोली को मंदिर के गर्भगृह से बाहर लाया गया जिसे एक दिन पूर्व ही गर्भ गृह में स्थापित किया गया था,
भारतीय सेना की भक्तिमय धुन के साथ वैदिक मन्त्रोंचार, विधिविधान एवं धार्मिक परम्पराओं के साथ बीकेटीसी के अधिकारीयों की उपस्थिति में कपाट बंद किये गये, कपाट बंद होने की परम्परा के निर्वाहन की शुरुवात में दीपावली के दिन से मंदिर को फूलों से सजा कर भव्य रूप प्रदान किया गया।
इसके उपरांत पुरे वैदिक मन्त्रोंचार के उपरांत प्रातः 8:30 पर धाम के कपाट बंद कर दिये गये। कपाट बंद होते ही बाबा की पंचमुखी उत्सव डोली रामपुर के लिए पैदल ही निकल पड़ी। 4 नवंबर सोमवार को श्री विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी रात्रि प्रवास के उपरांत 5 नवंबर मंगलवार को बाबा केदार की पंचमुखी डोली अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी।बाबा केदार शीतकाल में ऊखीमठ स्थित ओंकारश्वर मंदिर पूजे जाते हैँ जहाँ वे अगले 6 माह निवास करते हैँ।गत वर्ष लगभग 16लाख श्रद्धालू बाबा केदार के दर्शन करने धाम प्रधारे।