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कार्यवाही के बजाय डॉ जेएन नौटियाल पर क्यों मेहरबान है उत्तराखंड सरकार?

कुलदीप सिंह राणा, देहरादून

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का सुशासन और भ्रष्टाचार पर कार्यवाही का दावा उन्ही के आयुर्वेद विभाग में फुस्स होता नजर आ रहा है। शपथपत्र में तथ्यों को जानबूझ कर तोड़ मरोड़कर अध्ययन अवकाश लेने के मामले में आरोपी डॉक्टर जे एन नौटियाल पर मेहरबानी अब सरकार की मंशा पर सवाल खडे करने लगी है,और क्या कारण हों सकता है कि दो दो बार नोटिस जारी होने के बावजूद शासन में बैठे अधिकारी,आरोपी पर कार्यवाही करने से बच रहें हों।

शपथपत्र में तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश करने का आरोप..
मामला भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड के बोर्ड अध्यक्ष डॉ जे एन नौटियाल के एमडी अध्ययन प्रकारण से जुडा है।नियमानुसार अध्यन्न अवकाश उन्ही अधिकारियों का स्वीकृत किये जाता है जिनकी सेवानिवृति की आयु 3 वर्ष से अधिक हो। इस संदर्भ में आवेदक को अनुबंध शपथ पत्र जमा करना होता है। अध्ययन अवकाश से पूर्व ही डॉ नौटियाल के शपथपत्र की विषय वस्तु को लेकर तत्कालीन सचिव आयुष फाइल में स्पस्ट कर चुके थे। बावजूद इसके,आरोप है कि डॉ नौटियल ने अध्ययन अवकाश पाने के लिए नियम -कायदों को ताक पर रख जानबूझ कर अपने शपथ पत्र में अनुबंध के तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत किया। और अपनी सेवानिवृति के शेष कार्यकाल जिसके कारण वह अध्ययन अवकाश के लिए पात्र नहीं थे की समयाविधि को शासन और सरकार से छुपाया। चौकाने वाली बात यह है कि उक्त फाइल पर तत्कालीन निदेशक आयुर्वेद डॉ अरुण त्रिपाठी से लेकर शासन में बैठे उच्च अधिकारियों ने भी बिना परिक्षण के आँख मूंद कर स्वीकृति प्रदान कर दी। मामला यहीं नहीं रुका दिसंबर 2020 में एमडी की पढ़ाई पूर्ण होने के उपरांत बिना सवाल जवाब के डॉ नौटियाल आसानी से विभाग में जॉइनिंग भी कर लेते हैँ और बड़े आराम से 14 माह तक नौकरी करने के बाद विभाग से सेवानिवृत हो जाते है।
अध्ययन अवकाश के दौरान कैसे हुई बोर्ड एवं मुख्यमंत्री कार्यालय में नियुक्ति
आश्चर्य की बात यह है कि वर्ष 2017 से अध्ययन अवकाश रह रहें डॉ नौटियाल की वर्ष 2018 में भारतीय चिकित्सा परिषद के बोर्ड सदस्य के रूप में नामित कर दिया जाता है और जिसके बोर्ड का उपाध्यक्ष बन वह बैठकों में पार्टिसिपेट भी करते हैँ।

बात यही खत्म नहीं होती डॉ नौटियाल का कहना है कि उक्त अध्ययन अवकाश के दौरान वह निजि चिकित्सक के रूप में वह मुख्यमंत्री आवास पर अपनी सेवाएं दे रहे थे हैँ। अब सवाल उठता है कि जो व्यक्ति विभाग से अध्ययन अवकाश पर हों वह दो अन्य जगहों पर राजकीय कार्य कैसे कर रहा था ?
अप्रैल 2022 में भी जारी हो चुका है कारण बताओ नोटिस पर कार्यवाही नहीं
अप्रैल 2022 में डॉ नौटियाल के सेवानिवृत होते समय ज़ब यह प्रकारण ज़ब तत्कालिन अपर सचिव आयुष राजेंद्र सिंह के संज्ञान में आया तो उन्होंने नियमानुसार कार्यवाही करते हुये डॉ नौटियाल को “कारण बताओ नोटिस” जारी कर दिया।

दंडात्मक कार्यवाही के बजाये सूबे की सरकार की डॉ नौटियाल पर मेहरबानी तो देखिए कि एक्ट के कायदों से इतर एक आरोपी को भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड में बिना बोर्ड गठन किये अध्यक्ष नियुक्त दिया गया।


27जुलाई 2023 को शासन डॉ नौटियाल द्वारा नियम विरुद्ध लिए जा रहे वेतन भत्तों पर लगा चुकी है रोक
यह सत्ता की सह का परिणाम था कि बोर्ड अध्यक्ष नियुक्त होने के बाद डॉ नौटियाल के हौसले इतने बुलंद हों गये उन्होंने खुद को राज्यमंत्री बता एक बार फिर गोपन विभाग के शासनादेश को तोड़ मरोड़ कर परिषद से वेतन भत्तों , निजी सचिव,समवर्ती स्टॉफ व वाहन इत्यादि सुविधाओं को अपने पक्ष में जारी करवा लिया।


उक्त प्रकरण पर ज़ब शासन से सवाल किये गये तो अपर सचिव द्वारा तत्काल प्रभाव से नियम विरुद्ध तरीके से डॉ नौटियाल द्वारा प्राप्त की जा रही समस्त सुविधाओं पर रोक लगा दी। लेकिन आश्चर्य इस बात का है कि अधिकारीयों ने उक्त अपव्यव पर नियम सँगत रिकवरी की कोई कार्यवाही नहीं की।और कुछ माह उपरांत डॉ नौटियाल के पक्ष में वेतन भत्ते के नये आदेश जारी कर दिये।
11सितम्बर 2024 को फिर जारी किया गया कारण बताओ नोटिस
मीडिया द्वारा अध्ययन अवकाश प्रकरण पर सवाल उठाने पर अपर सचिव एवं निदेशक आयुष डॉ विजय जोगदंड द्वारा 11सितम्बर 2024 को पुनः डॉ नौटियाल को नोटिस जारी कर तय समय में जवाब न देने पर सिविल सर्विस रेगुलेशन एक्ट 351A के अंतर्गत अनुशासनात्मक कार्यवाही का आदेश दिया था।


लेकिन एक माह से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी शासन कार्यवाही के बजाय चुप्पी ओढ़े बैठा है। हालांकि डॉ नौटियाल की मनमानियों की फेहरिस्त छोटी नहीं हैँ और शासन में बैठे अधिकारी भी इससे अनभिज्ञ हों यह संभव नहीं!
अब सवाल उठता है कि क्या शासन कि आँखों में धूल झोंकने के उक्त मामले में डॉ जे एन नौटियाल पर कार्यवाही होंगी? वहीँ अब देखना यह है कि भ्रष्टाचार मुक्त सुशासन की बात करने वाले सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी अपने ही आयुष विभाग में हुये उक्त प्रकरण पर क्या रुख अख्तियार करते है।

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