कुलदीप सिंह राणा, देहरादून
उत्तराखंड सचिवालय संघ के द्विवार्षिक चुनाव सम्पन्न हों चुके है। सुनील कुमार लखेड़ा अध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुये है वही लगातार तीन चुनाव में विजेता रहे दीपक जोशी को उनके ही निवर्तमान उपाध्याक्ष से हार का सामना करना पड़ा है। सोमवार,31 जुलाई को संपन्न हुये चुनाव में लखेड़ा के पक्ष में 479 कर्मचारियों ने मतदान किया वहीँ दीपक जोशी को कुल 439 मत मिले, तीसरे पायदान पर रहे प्रदीप पपनै को मात्र 65वोट से संतुष्टि होना पड़ा।
सचिवालय संघ के कुल 1056 मतदाताओं में से 994 ने चुनाव में अपने मत का प्रयोग किया।
मतों का विश्लेषण करने से पता चलता है कि वर्तमान चुनाव में उलटफेर का सबसे बड़ा कारण 53 कर्मचारियों का दीपक जोशी के पक्ष से हटकर मतदान करना रहा,पिछले चुनाव में जोशी को 492 कर्मचारियों का विस्वास मत हासिल था जो वर्तमान विजेता सुनील कुमार लखेड़ा से13 वोट अधिक है और वर्तमान चुनाव में जोशी की हार का अंतर 40 मतों का रहा। पिछले और वर्तमान चुनाव के मतों की तुलना करने से स्पस्ट होता है यदि जोशी अपने पूर्व की मत संख्या को भी बरकरार रख पाते तों उनकी जीत तय होती। इन 40+13 मतदाताओं का उनसे छीटकना दीपक जोशी की हार और सुनील कुमार लखेड़ा की जीत के बड़े कारण के रूप में सामने है।
गौरेतलब बात यह भी है कि उपाध्याक्ष पद पर पिछले चुनाव में सुनील कुमार लखेड़ा को 641मतों के साथ जीत मिली थी जबकि इसकी तुलना में अध्यक्ष पद 479, अर्थात162 कर्मचारियों के कम मत मिले है।
आंकड़ों से पता चलता है कि अध्यक्ष के पद लखेड़ा के पक्ष में भी मतदान में गिरावट दर्ज हुई है। हालांकि तीन बार के विजेता प्रतिद्वन्दी के मुकाबले सुनील कुमार लखेड़ा की जीत और जीत का अंतर दोनों बड़े है।
दीपक जोशी के पक्ष में अब तक के मतदान के ट्रक को देखे तों उनकी हार का सबसे बडा कारण उनके पक्ष में कर्मचारियों का भरोसा कम होना साफ-साफ झलक रहा है। सत्ता के साथ उनकी नजदीकी और मलाईदार अनुभाग में नियुक्ति से भी कर्मचारी दीपक जोशी के कटने लगे थे अंत समय में कर्मचारियों के पक्ष में सरकार से भत्ता घोषित करवाना भी मतदाताओं को उनके पक्ष में नहीं कर सका।
उपाध्याक्ष के पद पर जीतमणी पैन्यूली का निर्विरोध चुना जाना बता रहा है कि पूर्व पेंसन आंदोलन का नेतृत्व का पूर्ण लाभ उनके पक्ष में गया है।कर्मचारियों में उनके चुनाव को लेकर कोई दुविधा की स्थिति नहीं थी।
350 मतों के साथ राकेश जोशी निवर्तमान महासचिव विमल जोशी से पद पाने में कामयाब हुये। वही कोषाध्यक्ष पद पर रमेश बर्त्वाल ने 658 मतों से विजेता रहे।