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    लॉक डाउन में छूट पर भारी शराब की मारामारी

    लॉक डाउन के कारण कल तक सूनी-सूनी  देहरादून की सड़कें सोमवार 4 अप्रैल को खासा गुलजार रही। कोरोनो वायरस के कारण उपजे हालात में लगभग 42 दिन से घरों में कैद रहने को मजबूर जनमानस लॉकडाउन में छूट मिलते ही जिस प्रकार सड़कों पर उमड़ा पड़ा वह कोरोना संक्रमण के दृष्टिगत बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।छूट पर सबसे ज्यादा उत्साह शराब के ठेकों पर नजर आया। जहां सुबह से ही लोग इकट्ठा होने लगे थे और दोपहर की चिलचिलाती धूप में भी टस से मस नहीं हुए। घंटाघर,न्यू मार्किट में अगल-बगल स्थित दवा- दारू की दुकान का नजारा बेहद हैरान कर रहा था। दारू की दुकान से लोग पेटियों भर-भर कर शराब ले जा रहे थे ,वहीं दवा की दुकान पर गिने चुने लोग ही दवाई खरीदते दिखे, जबकि अन्य दिनों में लोग दवाई खरीदने के झूठे बहाने बनाकर चौराहों पर अक्सर पुलिस से उलझते दिखायी पड़ते थे।इस नजारे पर कुछ लोग चुटकी भी ले रहे थे , देखो भाई !लॉक डाउन मे सरकार जनता को घर-घर राशन पहुँचा रही है सरकार को शराब की भी होम डिलीवरी करनी चाहिए। वही कुछ लोगों का कहना था कि लग रहा है जैसे कोरोनो की दवा, दारू की दुकान पर ही उपलब्ध हो।लंबे समय बाद मिली छूट का नाजायज फायदा उठाने को जनता जिस प्रकार उमड़ आयी उससे जनता का कोरोना संक्रमण के प्रति लापरवाह नजरिये का भी पता चलता है। कोरोना संक्रमण से बेख़ौफ़ नजर आ रही भीड़ को नियंत्रित करना पुलिस के लिए खासा सिरदर्द रहा।आज के हालत को देखते हुए सरकार के उक्त निर्णय पर अनेक सवाल खड़े हो रहे हैं।जनता छूट पर सड़को पर तो उतर आयी किंतु उसी सरकार द्वारा बताये गए नियमो का पालन करना भूल गयी। सोमवार का यह नजारा लॉक डाउन में छूट के नियमो को और कड़ा करने की जरूरत का स्पस्ट संकेत भी है आम आदमी की इस प्रकार की लापरवाही का खामयाजा उत्तराखंड में कोरोना वायरस के संक्रमण को काफी बढ़ा सकता है। वहीँ इन दोनो प्रकार के हालातों में जो दिन रात जूझती दिखायी दे रही है वह है सूबे की पुलिस के दरोगा व् सिपाही ,जो हालत को नियंत्रित करने की दिशा में बेहद मुस्तैद दिखे।

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