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    त्रिवेंद्र रावत की उम्र बढ़ा गए विरोधी

    कुलदीप एस राणा

    हिन्दु संस्कृति में मान्यता है कि मृत्यु की झूठी खबर उक्त व्यक्ति के लिए दीर्घायु का संकेत मानी जाती है। कुछ दिन पूर्व सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के जीवन को लेकर  एक बेहद आपत्तिजनक पोस्ट चर्चाओं में आयी । पोस्ट अपलोड करने वालों के खिलाफ पुलिस में मामला भी दर्ज हुआ। इनमे से एक आरोपी को पिथौरागढ़ में राजस्व पुलिस द्वारा गिरफ्तार भी कर लिया गया है शेष अन्य आरोपियों की गिरफ़्तारी हेतु पुलिस सक्रिय है यह तो सभी आरोपियों की गिरफ़्तार  बाद ही पता चल पायेगा कि इस प्रकार की पोस्ट के पीछे असली पोस्टमैन कौन है। पिछले वर्ष भी सोशल मीडिया पर त्रिवेंद्र रावत पर आपत्तिजनक टिप्पणी देखी गयी थी जिसे बाद पुलिस द्वारा टिपण्णी करने वाले अभियुक्त को गिरफ्तार कर लिया गया था। सभ्य समाज मे किसी व्यक्ति के जीवन को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां करना कदापि उचित नही कहा जा सकता है।क्या आलोचना करने के लिए नैतिकता के इतने निचले पर जाना सभ्यता है?फिलहाल जिन जिन लोगों के फेसबुक वाल पर उक्त आपत्तिजनक पोस्ट देखी गयी है  वह सब युवा नजर  रहे हैं।

    महत्वपूर्ण पहलू यह है कि पोस्ट करने के पीछे की मंशा क्या हो सकती है? क्या यह पोस्ट निजी विरोध के कारण है या इसके पीछे कोई राजनीतिक षडयंत्र तो नहीं? राजनीति में सत्ता के लिए षड्यंत्र कोई नई बात नही है। उत्तराखंड भाजपा में तो विघ्न संतोषियों की कमी भी नहीं है बीते समय में सूबे में मुख्यमंत्री की कुर्सी हथियाने को लेकर हुए अनेक कर्मकांड औऱ कर्मकांडियों से जनता परिचित है। समय-समय पर समाचार पत्रों  में प्रकाशित खबरे जता देती है कि इनके भीतर मुख्यमंत्री की कुर्सी  लेकर बेचैनी किस कदर व्याप्त है।समय समय पर हुए तमाम राजनीतिक उठापटक के बावजूद कोई भी त्रिवेंद्र रावत की कुर्सी को हिला तक नहीं पाया है। पूर्व में राज्य में हुए दो विधानसभा उपचुनाव से लेकर नगर निकाय व पंचायत चुनाव में बेहतर प्रदर्शन कर त्रिवेंद्र रावत ने पार्टी हाई कमान के समक्ष अपनी स्थिति को काफी मजबूत किया है। शायद यहीं कारण है कि वह अभी तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर जमे हुए है। ऐसे में सवाल उठता है कि पार्टी में बैठे षड्यंत्रकारी अब क्या खिचड़ी पका रहे है  वर्ष 2022 भी अब ज्यादा दूर नही है। जब राज्य में विधानसभा चुनाव होंगें। ऐसे ही कई अनसुलझे सवालों के जवाब है जो पुलिस की जाँच क़े बाद ही मिलेंगे सकेंगे। यहाँ विपक्षी दल कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करना हास्यास्पद होगा फ़िलहाल अपना कुनबा संभालना ही कांग्रेस के लिए वह बड़ी चुनौती है।  ऐसे नकारात्मक वातावरण में जिम्मेदारी त्रिवेंद्र सिंह रावत के सिपेसलारों की भी बढ़ जाती है, मुख्यमंत्री के विरुद्ध उपजी नकारात्मकता को दूर करने की दिशा में वह क्या प्रभावशाली कदम उठाते है। जाँच में यदि यह बात निकल कर आती है कि उक्त पोस्ट राजनीतिक विरोधाभास या षड्यंत्र से प्रेरित न होकर व्यक्तिगत विरोध के उद्देश्य से की गई थी तो सवालों,सिपसलारों की भूमिका पर भी उठेंगे। जनता में मुख्यमंत्री की छवि बनाने की काफी कुछ जिम्मेदारी इनके कंधों पर भी होती हैं।

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